लाल भैरव और काल भैरव मंदिर

लाल भैरव और काल भैरव मंदिर

यह मंदिर विंध्याचल से मिर्ज़ापुर मार्ग पर विंध्यवासिनी मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर पहले स्थित है। यहां लाल भैरव की विशाल प्रतिमा स्थापित है। इस मूर्ति के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह मूर्ति एक साल में एक तिल के बराबर बढ़ती है। विंध्यवासिनी के दर्शन के साथ लालभैरव के दर्शन से मन अत्यंत प्रसन्न होता है। शांति मिलती है. मंदिर में भैरव के अन्य रूपों की भी मूर्तियाँ हैं। इस मंदिर के सामने एक प्राचीन जलस्रोत नागकुंड भी है।


भैरव मंदिर का इतिहास और इसके आचार-विचार के वर्णन से पता चलता है कि यह स्थान वामपंथ और तांत्रिक कला के प्रति भक्तों की भक्ति और आस्था का प्रतीक है। भैरव मंदिर का अनोखा स्वरूप और इसकी स्थापना की अद्भुत परंपरा है, जिसमें वाममार्गी और तांत्रिक साधनाओं का महत्वपूर्ण स्थान है।

इस भैरव मंदिर की एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें भक्त तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं और भैरव को प्रसाद चढ़ाते हैं। यह एक अद्वितीय और अत्यधिक मान्यता प्राप्त स्थल है, जो भारतीय धार्मिकता की विविधता और अलौकिक परिप्रेक्ष्य को उजागर करता है।